Hanuman Chalisa Lyrics PDF

प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त, सुग्रीव के सखा, अष्ट सिद्धि और नव निधियों के दाता, पल भर में रावण की सोने की लंका को स्वाहा करने वाले भगवान हनुमान जी का नाम लेते ही हर किसी का मन श्रद्धा भाव से भर जाता है| आज हम आपको Hanuman Chalisa Lyrics PDF का लिंक देने वाले हैं इस article के लास्ट में|

इसे आप download करके पढ़ सकते हैं| इसके अलावा हम हनुमान जी से जुड़े कुछ interesting facts भी बताएंगे| चलिए शुरू करते हैं|

हनुमान जी से जुड़े अनजाने रहस्य

जिसपर परम शक्तिशाली हनुमान जी का आशीर्वाद हो उसका तो कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है| आइए अब हम सब हनुमान जी के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्सों के बारे में जानते हैं जिन्हें शायद आज से पहले आपने कभी नहीं सुना होगा|

हनुमान जी को कैसे मिला अमरत्व का वरदान?

मित्रों, एक बार की बात है| प्रभु श्री राम मां सीता के वियोग में अत्यंत व्याकुल हो उठे थे| हर घड़ी बस यही चिंता खाए जा रही थी की माता सीता कैसी होंगी, किस हाल में होंगी? हनुमान जी से उनकी ये व्यथा देखी न गई| वो भी विचलित हो उठे|

तब प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को दसों दिशाओं में सीता मां की खोज के लिए भेज दिया| उन्होंने कहा की जब सीता मिल जाएं तो उन्हें निशानी के तौर पर अंगूठी देना और कहना की श्री राम जल्द ही उन्हें लेने आएंगे| अपने प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमान जी सीता मां की खोज में निकल पड़े|

अनेक बाधाओं को पार करके उन्होंने लंका की अशोक वाटिका में प्रवेश किया| जैसे ही उन्होंने सीता माता को देखा तो उन्हें प्रणाम किया| बातचीत करते हुए हनुमान जी सीता माता के कुछ नजदीक चले गए तो सीता मां भयभीत हो उठीं|

उन्होंने हनुमान जी को रावण समझा जो भेस बदल कर आया है| तब श्रीराम की अंगूठी दिखाकर हनुमान जी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वो श्री राम के दूत हैं, रावण या अन्य कोई राक्षस नहीं| जब सीता माता ने प्रभु की मुद्रिका अपने हाथों में ली तो उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई| हनुमान जी को सीता माता ने अमरता का वरदान दिया| यही कारण है की भगवान हनुमान आज भी अमर हैं|

हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता क्यों कहते हैं?

रूद्र यानी शिवजी के ग्यारहवें अवतार हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता कहा जाता है| तुलसी दास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में इस बात का जिक्र है|

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता|

अस वर दीन जानकी माता||

चलिए इसके पीछे का राज़ जानते हैं| दरअसल, प्रभु श्रीराम जब सीता माता को लेकर लंका से लौटे तो उनका स्वागत हुआ और राज्याभिषेक की तैयारी होने लगी| हनुमान जी को श्री राम का परम भक्त कहा जाता था| इस वजह से ज्यादातर अयोध्या वासी उनसे जलते थे| सीता माता को भी उनकी भक्ति पर शक था| सबको लगता था कोई किसी का इतना बड़ा भक्त नहीं हो सकता जितना होने का दिखावा करते हैं हनुमान जी| जब रुद्राभिषेक हो गया तो बारी आई उपहार देने की| श्रीराम ने हनुमान जी को बहुत ही ज्यादा मूलयवान माला दी| उन्होंने वो माला तोड़ दी| जब जानकी माता ने कारण पूछा तो हनुमान जी ने बताया की उनके लिए किसी भी वस्तु का कोई मूल्य तबतक नहीं है जब तक उसमें से श्री राम नाम की ध्वनी नहीं निकलती या उनकी छवि नहीं दिखती| हनुमान जी के ऐसा कहने पर सबने उनका मजाक उड़ाया|

सीता माता ने कहा की तुम्हारे अपने शरीर से भी राम नाम की ध्वनि निकलती है? तब हनुमान जी ने अपना एक रोम यानी बाल तोड़ कर जानकी माता को दिया| उसमें से सच में राम नाम की आवाज आ रही थी| फिर हनुमान जी ने अपना सीना चीर कर दिखाया जिसमें सीता माता और श्री राम की छवि देख सब हैरान रह गए थे|

इसके बाद श्री राम ने उन्हें गले लगाया और कहा की मुझसे पहले हनुमान की पूजा होगी| सीता मां ने खुश होकर हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नव निधि अपने भक्तों को प्रदान करने का वरदान दिया था|

आज हम आपको Hanuman Chalisa Lyrics PDF provide करवा रहे हैं| article के अंत में उसका description दिया होगा| आप भी वहां से आसानी से डाउनलोड करके हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं|

श्रीराम ने एक बार तोड़ा था हनुमान जी का अभिमान

दोस्तों, आप सब जानते ही होंगे की हनुमान जी ने बहुत से देवताओं और राक्षसों का घमंड चूर चूर कर दिया था| लेकिन एक बार खुद हनुमान जी को भी खुद की शक्तियों पर अभिमान हो गया था| ये बात उस समय की है जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए सेतु बांधने का काम कर रहे थे|

अपनी विजय के लिए वो शिव जी की प्रार्थना कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहते थे| श्री राम ने हनुमान को कहा कि कहीं से शिवलिंग ले आओ और यहां स्थापित कर दो| परिश्रम करके हनुमान जी शिवलिंग ले आए| तभी उन्होंने देखा की समय की कमी के कारण श्री राम ने रेत से ही शिवलिंग स्थापित कर पूजा करने लगे थे|

इसपर जब हनुमान जी दुखी हुए तो श्रीराम ने कहा की दुखी मत हो| हम तुम्हारे द्वारा लाए गए शिवलिंग की भी पूजा कर लेंगे बस तुम इस रेत के शिवलिंग को हटा दो|

इसपर हनुमान जी शिवलिंग हटाने का प्रयास करने लगे पर हटा नहीं सके| तब उनका अभिमान चूर चूर हो गया| फिर श्रीराम ने कहा की मेरे द्वारा स्थापित शिवलिंग कालांतर में रामेश्वरम के नाम से जाना जाएगा और तुम जो शिवलिंग लाए हो उसे लोग हनुमदीश्वर के नाम से जानेंगे| मेरे शिवलिंग से पहले तुम्हारे शिवलिंग की पूजा करना अनिवार्य होगा|

क्यों लेना पड़ा शिव जी को हनुमान अवतार?

ये तो हम सभी जानते हैं की भगवान हनुमान शिव जी के ही अवतार थे| लेकिन शायद ही कोई इस बात को जानता हो की शिव जी को हनुमान अवतार में जन्म क्यों लेना पड़ा था? दरअसल, ये बात है रामायण काल के प्रारम्भ की|

जब विष्णु भगवान ने श्री राम के रूप में अवतार लिया| जब राम जी पांच वर्ष के हो गए तो शिव जी ने उनसे मिलने की इच्छा प्रकट की| जब शिव जी ने ये बात पार्वती माता को बताई की उन्हें अब धरती लोक पर ही रुकना पड़ेगा तो पार्वती माता ने कहा मैं आपके बिना प्राण त्याग दूंगी|

फिर शिवजी धर्म संकट में फंस गए| पार्वती माता के पास रुकें या श्रीराम के दर्शन कर उनकी सेवा के लिए भू लोक पर रुकें| इसके बाद उन्होंने अपने 11वें रूद्र से हनुमान को प्रकट किया| शिव जी सीधा श्रीराम के पास नहीं जा सकते थे|

उन्होंने फिर मदारी का रूप धरा| उसके बाद श्री राम ने उस वानर जो की शिव जी का ही अंश था उसे अपने पास ही रख लिया| धीरे धीरे श्रीराम को भी ये समझ आ गया की ये कोई साधारण वानर नहीं बल्कि शिव जी का अवतार है| इस प्रकार हुआ हनुमान जी अवतरण|



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निष्कर्ष (Conclusion)

जब भी कभी किसी पर कोई संकट आता है तो सबसे पहले जिसका नाम ध्यान में आता है वो हैं अंजनी पुत्र, पवनसुत हनुमान भगवान| आज के इस article में हमने आपको बताया की हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता होने का वरदान किसने और कब दिया था|

साथ ही हमने आपको ये भी बता दिया है की हनुमान जी को कब अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और कैसे श्रीराम ने उनका अभिमान तोड़ा था| हमने आपको ये भी बताया की हनुमान जी को अमरता का वरदान कब और किसने दिया था|

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